Saturday, October 4, 2014

भागीरथी गंगा की निर्मलता में शहरवाली समाज का योगदान




शहरवाली समाज सदा से ही महान कार्यों में अग्रणी रहा है. चाहे व्यापार हो, जमींदारी  हो, मंदिर बनवाना हो या साधर्मी वात्सल्य शहरवाली समाज का योगदान हमेशा ही सराहनीय रहा है. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी यहाँ के जैनों ने बड़ी भूमिका निभाई है तभी तो महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष जैसे लोग यहाँ पर आना पसंद करते थे.

भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने  नमामि गंगे के नाम से गंगा की सफाई का महा अभियान छेड़ा है. अजीमगंज और जियागंज भागीरथी गंगा के दोनों किनारे में बसे हुए हैं. शहरवाली समाज में नाव के सैल का बड़ा प्रचलन रहा है साथ ही गंगा जी में नहाने का भी. इस समाज से गंगा का बड़ा पुराना  नाता है. ऐसी स्थिति में हमारा कर्तव्य भी बनता है की गंगा की सफाई के काम में हम आगे आएं और फिर से दुनिया को बता दें की शहरवाली समाज देश हित के कार्य में सदा अग्रणी रहता है. भागीरथी गंगा की निर्मलता में हमारा योगदान अवश्य होना चाहिए।

अभी कुछ वर्षों पूर्व ही आदरणीय प्रणव मुखर्जी ने जंगीपुर को अपना चुनाव क्षेत्र चुना था और अजीमगंज उनके चुनाव क्षेत्र में ही आता है. प्रणव बाबू पहले भारत के वित्त मंत्री बने और फिर माननीय राष्ट्रपति। वित्त मंत्री रहते हुते उन्होंने इस जिले मुर्शिदाबाद के लिए  कुछ पैकेज भी दिए थे जिससे गंगा पर कुछ बांध आदि भी बनने थे.  हमें इस कार्य को और आगे बढ़ाना है.

हमारे प्रधान मंत्री का आह्वान है की जो भी काम करना हो सब मिलकर करें अकेली सरकार कुछ नहीं कर सकती है. केवल सरकार के भरोसे काम नहीं हो सकता। हम कुछ आगे बढ़ें कुछ कदम बढ़ाएं और सरकार को भी अपनी भागीदारी निभाने के लिए प्रोत्साहित करें।

मुझे पूरा विश्वास है की अजीमगंज जियागंज मुर्शिदाबाद का शहरवाली समाज इस पवित्र कार्य में अपनी पूरी भागीदारी निभा कर देश के आगे एक मिशाल कायम करेगा।

एक बात मैं विशेष रूप से कहना चाहूंगा की विश्व की सबसे लम्बी तैराकी प्रतियोगिता जंगीपुर से बरहमपुर तक (७३ किमी) आयोजित की जाती है. यह सम्पूर्ण यात्रा भागीरथी गंगा में मुर्शिदाबाद जिले में से हो कर ही गुजरती है. विश्व भर के तैराकों को इस प्रतियोगिता के दौरान अजीमगंज- जियागंज हो कर ही जाना पड़ता है. इसके साथ ही जियागंज से बरहमपुर तक १९ कीमी  की तैराकी भी होती है. यह प्रतियोगिता पुरे मुर्शिदाबाद जिले के लिए गौरव की बात है और इस गौरव को जीवित रखने के लिए शहरवाली समाज का योगदान बांछनीय है.


बंगाल के जैन तीर्थ: अजीमगंज, जियागंज, मुर्शिदाबाद


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